श्री गणेशाय नमः
जयदेव जयदेव जय मंगल मूर्ति हो श्रीमंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनन कामना पूर्ति जयदेव जयदेव
सिंदूर लाल चढायो अपने ही मनन का
सुन्दर लाल विराजे सूत गौरी -शिव का
हाथ में है गूढ़ लड्डू प्रभु गजानन के
महिमा कहू तो कैसे , झुकाऊ सर पद में , जयदेव जदेव
गणेशा तेरा रूप निराला
कोटि सूर्य का है तुझमें उजाला
लंबोदर पीतांबर तेरा क्या कहना
सरल सुन्द वक्र तुन्दत्री नैना , जयदेव जयदेव
सिंदूर रंजित हर अंग सुन्दर
मोतियाँ का माला चमके गले पर
हर गुण सपन्न ओ गौरी नंदन
तुझको भाये कुमकुम केसर चन्दन , जयदेव जयदेव
ग्यानी दानी तू है सिध्हिदाता
सबके लिए तेरा प्यार बरसता
तेरी लीला जग में है न्यारी
करता है तू मुसे की सवारी , जयदेव जयदेव
मनन की आँखें ढूंढे है तुझको
दे दो अब्ब तो दर्शन हमको
अपने सेवक के घर पे तू आना
संकट में हम सब की रक्षा तू करना , जयदेव जयदेव
सिंदूर लाल चढायो अपने ही मनन का
सुन्दर लाल विराजे सूत गौरी -शिव का
हाथ में है गूढ़ लड्डू प्रभु गजानन के
महिमा कहू तो कैसे , झुकाऊ सर पद में , जयदेव जदेव
जय जय श्री गजराज विद्या सुख दाता , हर विघ्न हरता
धन्य दर्शन तुम्हारा मेरा मनन रमता , जयदेव जदेव
जयदेव जयदेव जय मंगल मूर्ति हो श्रीमंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनन कामना पूर्ति जयदेव जयदेव |
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